ज़िन्दगी एक सफ़र है,
ये सफ़र मुशकिल में है,
इस सफ़र में हर मुसाफिर,
कोशिश-ए-मंजिल में है,
जिस सकून-ए-दिल की खातिर,
मंजिलें सब देख ले,
वो सकून-ए-दिल कहीं है,
तो बस तेरी महफ़िल में है.....................अनजान
Tuesday, February 2, 2010
Monday, December 14, 2009
तेरी जानिब से..
तेरी जानिब से जब भी सवाल उठे,
कुछ लाजिम थे, कुछ बेख्याल उठे,
परदा गिरा , जो कई मुलाकातों के बाद,
दबे थे जों दिल में , शायद वो मलाल उठे,
और एहतियातन कम ही मिलता हूँ मैं उससे,
फ़िर नजाने क्यों मेरी मोहब्बत पर सवाल उठे,
वो फ़िर जा बैठा है, रकीबों में "अज़ल",
शायद फ़िर सोचकर, एक नई चल उठे,
कुछ लाजिम थे, कुछ बेख्याल उठे,
परदा गिरा , जो कई मुलाकातों के बाद,
दबे थे जों दिल में , शायद वो मलाल उठे,
और एहतियातन कम ही मिलता हूँ मैं उससे,
फ़िर नजाने क्यों मेरी मोहब्बत पर सवाल उठे,
वो फ़िर जा बैठा है, रकीबों में "अज़ल",
शायद फ़िर सोचकर, एक नई चल उठे,
Saturday, June 20, 2009
one of my favourite two liner sher...
तू इत्तिफाक रखता है मुझसे कहीं,
मेरी महोब्बत का ही तो असर है ये,,,,,,,,,,,,,,,अज़ल
मेरी महोब्बत का ही तो असर है ये,,,,,,,,,,,,,,,अज़ल
सितारों के आगे जहाँ और भी है,,,
सितारों के आगे जहाँ और भी है,
रुक क्यों गया इम्तेहान और भी है,
मुश्किले ही मुश्किले आएगी बहुत,
सर पर परेशानियाँ छायेगी बहुत,
आयेगे तूफ़ान तेरी राहों में बहुत,
लहरों का सीना चीर कर निकलना,
इन कश्तियों के किनारे और भी है,
होसलों में जान रखना ,
दिल में कई अरमान रखना,
घबराकर राहों में रुकना मत,
मंजिल तक क़दमों के निशा और भी है,,,,,अज़ल
रुक क्यों गया इम्तेहान और भी है,
मुश्किले ही मुश्किले आएगी बहुत,
सर पर परेशानियाँ छायेगी बहुत,
आयेगे तूफ़ान तेरी राहों में बहुत,
लहरों का सीना चीर कर निकलना,
इन कश्तियों के किनारे और भी है,
होसलों में जान रखना ,
दिल में कई अरमान रखना,
घबराकर राहों में रुकना मत,
मंजिल तक क़दमों के निशा और भी है,,,,,अज़ल
Thursday, June 18, 2009
मेरे कुछ चुनिन्दा शेर..(2)
1.शम्मा चाहतों की आँधियों में जलाये रखना,
दुश्मनी में भी दोस्ती बनाये रखना,
हमारी बातें तुम्हे याद आएगी बहुत,
इन खतों को सीने से जब लगाये रखना,
2.तन्हा था मैं इस सफर में,
उम्मीद किसी अपने की थी,
जब तुमसे मुलाकात हुयी,
वो हकीकत मेरे सपने की थी...
दुश्मनी में भी दोस्ती बनाये रखना,
हमारी बातें तुम्हे याद आएगी बहुत,
इन खतों को सीने से जब लगाये रखना,
2.तन्हा था मैं इस सफर में,
उम्मीद किसी अपने की थी,
जब तुमसे मुलाकात हुयी,
वो हकीकत मेरे सपने की थी...
नही है
मुलाकातों का कोई सिलसिला नही है,
मुझे नही मिला, वो जो मेरा नही है,
कभी की थी उससे मोहब्बत बहुत,
अब उस शख्स पर, वो एतबार नही है,
वक़्त ने कैसी करवट बदली है,
तसव्वुर में भी उसका ख्याल नही है,
किसी मोड़ पर मिलने की चाहत है,
उससे गिला है पर इतना नही है
उसकी सब खाताये माफ़ है "अज़ल",
इंसान है वो, कोई खुदा नही है......
मुझे नही मिला, वो जो मेरा नही है,
कभी की थी उससे मोहब्बत बहुत,
अब उस शख्स पर, वो एतबार नही है,
वक़्त ने कैसी करवट बदली है,
तसव्वुर में भी उसका ख्याल नही है,
किसी मोड़ पर मिलने की चाहत है,
उससे गिला है पर इतना नही है
उसकी सब खाताये माफ़ है "अज़ल",
इंसान है वो, कोई खुदा नही है......
मेरे कुछ चुनिन्दा शेर..(1)
1.कभी तो प्यार किया होता,
मेरा इंतज़ार किया होता,
हम भी थे तेरी राहों में अज़ल,
कभी तो एतबार किया होता,,
2.तुमसे ये यारी कम न होगी,
हर बल बेकरारी कम न होगी,
हममे अपने दिल के करीब समझना,
तो ये दुनिया प्यारी कम न होगी,,
मेरा इंतज़ार किया होता,
हम भी थे तेरी राहों में अज़ल,
कभी तो एतबार किया होता,,
2.तुमसे ये यारी कम न होगी,
हर बल बेकरारी कम न होगी,
हममे अपने दिल के करीब समझना,
तो ये दुनिया प्यारी कम न होगी,,
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